Sapna shah

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लेखनी कहानी -14-Jul-2022

तुमसे मैं वहां मिलूंगी,

जहाँ शाम को पानी पर दीपक चलते मिलेंगे
जहां मंदिर के घंट का नाद सुनाई देगा
लाल साडी पहने..... दुल्हन सी
आरती के थाल लेकर सुहागनें दिखेगी
अपने परिवार की खुशियाँ मांगती
पूरे तन -मन से भक्ति से ओत प्रोत होती दिखेगी
उंचे -उंचे सूर ताल में चहूँ दिशा में आरती गूँजेगी
शाम की शीतल लहर जब मन को छू लेगी
पक्षियों की किलकारियों से गगन गूँज उठेगा
प्रकाश का अंधकार से जब मिलन होगा
सूरज की तेज किरणें जब शांत होगी
शाम की आहोश में साँस लेगी
थंडी हवाएं तन  मन को छू लेगी 
सुकुन के उन पलों में
लाल साडी पहने...
बालों में गजरा लगाए, 
माथें पर सिंदूर सजाए
चुडियों की खनखनाहट के साथ
पायल की छमछम के साथ
थोड़ी शरमाती,
थोड़ी इठलाती,
इंतजार करती,
आँखों में प्यार लिए,
दिपक का थाल सजाएं ,
जहाँ श्याम से राधा मिली ,
गंगा किनारे...
 तुमसे मैं वहीं मिलूंगी.........
 तुमसे मैं वहीं मिलूंगी.......!!❣️


,,✍️ से
सपना 


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8 Comments

Sapna shah

27-Jul-2022 12:50 PM

Thanks everyone ☺️

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Saba Rahman

16-Jul-2022 11:10 PM

Nice

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Chudhary

16-Jul-2022 10:01 PM

Nice

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